आज के समय में सोशल मीडिया का बोलबाला है। यह हमारे रोजमर्रा के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने पत्रकारिता में बड़े बदलाव लाए हैं। नए-नए प्लेटफॉर्म्स के आने से साहित्यिक (literary), सांस्कृतिक (cultural), आर्थिक (economic), राजनैतिक (political) और वैधानिक (legal) क्षेत्रों में बदलाव और नए प्रयोग शुरू हुए हैं।
सोशल मीडिया की शुरुआत 1995 में मानी जाती है। सबसे पहले क्लास्मेट्स डॉट कॉम (Classmates.com) नाम की एक वेबसाइट (website) शुरू हुई, जिसके जरिए स्कूल, कॉलेज, काम करने वाले लोग और मिलिट्री के लोग एक-दूसरे से जुड़ सकते थे। फिर 1996 में बोल्ट डॉट कॉम (Bolt.com) नाम की सोशल साइट आई। 1997 में एशियन एवेन्यू (Asian Avenue) नाम की एक और साइट शुरू की गई।
सोशल मीडिया में सबसे बड़ा बदलाव तब आया जब फेसबुक (Facebook) और ट्विटर (Twitter) जैसी साइट्स आईं। फेसबुक की शुरुआत 4 फरवरी 2004 को हुई थी। इसे मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) के छात्रों के लिए बनाया था। धीरे-धीरे इसे दूसरे कॉलेजों और फिर पूरे अमेरिका में फैलाया गया। 2006 तक यह दुनिया के कई देशों में पहुंच गई।
शुरुआत में ये साइट्स सिर्फ मध्यम वर्ग तक सीमित थीं, लेकिन जब मोबाइल फोन पर सोशल मीडिया की सुविधाएं मिलने लगीं, तब यह हर वर्ग के लिए सुलभ हो गई। इसके बाद कई और सोशल नेटवर्किंग साइट्स (social networking sites) भी बनीं।
सन् 2000 के दशक (decade) की शुरुआत में सॉफ्टवेयर विकासकर्ताओं (software developers) ने अंतिम प्रयोगकर्ताओं (users) को यह सक्षम बनाया कि वे वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) पर स्थिर (static) और निष्क्रिय (inactive) पृष्ठों को देखने के बजाय अधिक परस्पर क्रियाशील (interactive) बन सकें। इसका परिणाम वेब 2.0 (Web 2.0) के रूप में हुआ और इससे एक अद्भुत प्रयोग का जन्म हुआ।
इस तकनीक ने सभी इंटरनेट यूजर्स को कंटेंट (content) शेयर करने की आजादी दी है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom of expression) और व्यापक स्थान (wide space) उपलब्ध कराता है। मुख्य रूप से, वेब 2.0 ने प्रोजूमर (prosumers) की विचारधारा (ideology) को जन्म दिया है।
मुख्य बिंदु (Highlights)
सोशल मीडिया का अर्थ
मानव सभ्यता (human civilization) के विकास में संचार (communication) की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। संचार सार्वकालिक (हमेशा मौजूद) और सार्वभौमिक (सभी जगह) है। मानव सभ्यता के साथ-साथ संचार के रूप, साधन (means), और तरीके भी विकसित होते रहे हैं।
डिजिटल मीडिया (digital media) और इसका एक रूप सोशल मीडिया (social media) आज के संचार का सबसे आधुनिक तरीका माना जाता है। आधुनिक संचार माध्यम यानी नया मीडिया का मुख्य हिस्सा इंटरनेट है। यह कई कंप्यूटरों को आपस में बिना तार (wire) के जोड़ने वाला नेटवर्क है।
सोशल मीडिया का मतलब है वेबसाइट (website) और एप्लीकेशन (application) आधारित एक तकनीकी व्यवस्था, जो समान विचार वाले लोगों को आपस में जोड़ती है। यह साझेदारी (sharing) और संदेशों (messages) के आदान-प्रदान का अवसर देती है। सोशल मीडिया सिर्फ संचार नहीं है; यह संवादात्मक (interactive) संचार है। इसमें उपयोगकर्ता (users) को कई सुविधाएं मिलती हैं। उपयोगकर्ता सूचनाएं, विचार, और अपनी प्रतिक्रियाएं (responses) फोटो (photos), वीडियो (videos), और इमोजी (emojis) के जरिए भेज सकते हैं।
इसकी खास बात यह है कि कोई भी उपयोगकर्ता अपनी पसंद और रुचि के आधार पर लोगों को पहचान सकता है, उनसे संपर्क कर सकता है, और दोस्त बना सकता है।
बेशक, संचार तकनीक ने एक नई दुनिया बनाई है। इस नई दुनिया को आभासी दुनिया (virtual world) कहते हैं। यह वह जगह है जहां दूर बैठा व्यक्ति भी आपसे जुड़ सकता है। वह अपनी बात कह सकता है और आपकी बातें पढ़ सकता है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसने दूरी और समय (time) को कम कर दिया है।
यह एक संवाद व्यवस्था है, जहां तकनीक (technology) पर निर्भरता के साथ-साथ आप स्वतंत्र और आत्मनिर्भर (self-reliant) भी होते हैं। इसके जरिए उपयोगकर्ता अपने विचार, भावनाएं, और सूचनाएं विभिन्न प्रारूपों (formats) में साझा कर सकते हैं। सोशल मीडिया की प्रमुख विशेषता है इसकी तीव्रता (speed), स्वतंत्रता, और तकनीक पर निर्भरता।
परिभाषा
धरती पर एक नए राष्ट्र (nation) का जन्म हुआ है, जिसकी कोई भौगोलिक सीमाएं (geographical boundaries) नहीं हैं। यह राष्ट्र केवल साइबरस्पेस (cyberspace) में मौजूद है और इसे सोशल मीडिया (social media) कहते हैं। यह एक अद्भुत माध्यम (medium) है, जिसे पूरे विश्व में अपनाया जा रहा है।
सोशल मीडिया की अवधारणा (concept) और विशेषताएं (uniqueness) काफी जटिल (complex) और कई पहलुओं वाली (multidimensional) हैं। अब जबकि यह हमारे दैनिक जीवन (daily life) को गहराई से प्रभावित कर रहा है, हम इसे नजरअंदाज (ignore) नहीं कर सकते।
सोशल मीडिया की परिभाषा (definition) में कहा गया है कि यह इंटरनेट पर आधारित ऐप्स (applications) का एक समूह है, जो उपयोगकर्ताओं (users) को सामग्री (content) बनाने और साझा (share) करने की अनुमति देता है।
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी (Oxford Dictionary) के अनुसार, “ऐसी वेबसाइट (website) और एप्लीकेशन जो उपभोक्ताओं (consumers) को सामग्री तैयार करने और उसे साझा करने में सक्षम बनाती हैं या सोशल नेटवर्किंग में भाग लेने की क्षमता देती हैं, उसे सोशल मीडिया कहा जाता है।”
विकिपीडिया (Wikipedia) के अनुसार, “सोशल मीडिया लोगों के बीच सामाजिक विमर्श (social discourse) है, जिसमें वे समुदाय (community) और नेटवर्क पर जानकारी (information) तैयार करते हैं, उसे साझा करते हैं या आदान-प्रदान (exchange) करते हैं।”
इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि “सोशल मीडिया या सोशल नेटवर्किंग साइट्स एक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम हैं, जिसके जरिए लोग विचारों (ideas) का आदान-प्रदान, सह-सृजन (co-creation) कर सकते हैं, उस पर चर्चा (discussion) कर सकते हैं और उसे बेहतर बना सकते हैं। यह संगठनों (organizations), समुदायों, और व्यक्तियों (individuals) के बीच महत्वपूर्ण और व्यापक परिवर्तन (changes) लाने का काम करता है।”
सोशल मीडिया : तकनीक आधारित माध्यम
सोशल मीडिया पूरी तरह से एक डिजिटल माध्यम (digital medium) है। यह तकनीक (technology) पर आधारित साझेदारी (partnership) है। बिना तकनीक और उपकरण (devices) के यहां संप्रेषण (communication) की कल्पना (imagination) भी बेमानी (meaningless) है। इसलिए कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया के लिए कंप्यूटर या मोबाइल उपकरण होना जरूरी है।
दरअसल, सोशल मीडिया का उपयोगकर्ता यहां अपने-अपने उपकरणों का इस्तेमाल करता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मैन्युअल कैसल के अनुसार, सोशल मीडिया के माध्यमों जैसे फेसबुक (Facebook) और ट्विटर (Twitter) के जरिए जो संवाद (dialogue) होते हैं, वे मास कम्युनिकेशन (mass communication) नहीं, बल्कि मास सेल्फ कम्युनिकेशन (mass self-communication) हैं। इसका मतलब है कि हम जनसंचार (public communication) तो करते हैं, लेकिन जन स्व-संचार (public self-communication) भी करते हैं। हमें यह नहीं पता होता कि हम किस-किस से बात कर रहे हैं या जो बातें हम लिख रहे हैं, उन्हें कोई पढ़ रहा है या नहीं।
सोशल मीडिया मुद्रित (printed) और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों (media) से कई दृष्टियों (aspects) से भिन्न है, जैसे गुणवत्ता (quality), पहुँच (reach), आवृत्ति (frequency), उपयोगिता (utility), तात्कालिकता (timeliness), और स्थायित्व (durability)। इसमें अनेक सूचना प्रदाता (information providers) और सूचना ग्राहक (information consumers) होते हैं। अधिकांशतः ये एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। जबकि मुद्रित और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम आमतौर पर एकलापी (monologic) होते हैं, जिसमें एक सूचना दाता और कई ग्राहक या प्रापक (recipients) होते हैं।
आज कई सोशल मीडिया की वेबसाइटें (websites) प्रचलित हैं और इनके उपयोगकर्ताओं (users) की संख्या करोड़ों में है।
यह लेख “डॉ. स्नेह लता” द्वारा लिखित पुस्तक ‘सोशल मीडिया और ब्लॉग लेखन’ से मिली जानकारी के साथ लिखा गया है।
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