शरद पूर्णिमा 2024: जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

शरद पूर्णिमा का व्रत हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को खास माना गया है और यह हर साल आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है।

शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर की सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमाओं में से एक है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा सभी सोलह कलाओं से युक्त होता है, जो आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं। भगवान श्री कृष्ण को सोलह कलाओं से परिपूर्ण अवतार माना जाता है, जबकि भगवान श्री राम बारह कलाओं का संयोजन हैं।

चंद्र देव की पूजा शरद पूर्णिमा पर अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है, विशेषकर नवविवाहित स्त्रियों द्वारा जो इस दिन से उपवास शुरू करती हैं। गुजरात में इसे शरद पूनम कहा जाता है।

इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृतमयी और औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस अवसर पर खीर बनाकर उसे चंद्रमा की किरणों के नीचे रखकर अमृत गुण प्राप्त किया जाता है।

ब्रज क्षेत्र में इसे रास पूर्णिमा कहा जाता है, क्योंकि इस रात भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महा-रास किया था। इस रात को दिव्य प्रेम का उत्सव मनाया जाता है।

भारत के कुछ हिस्सों में इसे कोजागरा पूर्णिमा भी कहा जाता है, जहां लोग पूरे दिन उपवास रखते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। अगर आप भी अपनी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं, तो शरद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करें। साथ ही, पूजा के समय व्रत कथा का पाठ करना न भूलें।

मुख्य बिंदु (Highlights)

शरद पूर्णिमा 2024: तिथि

शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है। वैदिक पंचांग के मुताबिक, हर साल शरद पूर्णिमा का व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन रखा जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

साल 2024 में शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस साल शरद पूर्णिमा पर रवि योग भी बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह पर्व आरोग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और रातभर अपनी किरणों से अमृत वर्षा करता है। शारदीय नवरात्रि के बाद आने वाले इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है।

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस साल 16 अक्टूबर को यह पर्व पूरे श्रद्धा भाव से मनाया जाएगा।

शरद पूर्णिमा 2024: शुभ मुहूर्त 

ज्योतिष पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर 2024 को रात 08:40 बजे होगी। यह तिथि 17 अक्टूबर को शाम 04:55 बजे समाप्त होगी। चंद्रोदय का समय 16 अक्टूबर की शाम 05:04 बजे रहेगा, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ाता है।

शरद पूर्णिमा 2024: रवि योग का विशेष महत्व

शरद पूर्णिमा के दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है, जो 16 अक्टूबर को सुबह 06:23 से शाम 07:18 तक रहेगा। ज्योतिष में इस योग को अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दौरान खीर बनाने और चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व है।

ज्योतिषियों के अनुसार, शरद पूर्णिमा तिथि पर रवि योग में चंद्र देव और भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है और मानसिक कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है।

शरद पूर्णिमा की खीर का महत्व

शरद पूर्णिमा का पर्व देश के कई राज्यों में फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खीर बनाने की एक विशेष प्रथा है। खीर को रातभर चंद्रमा की चांदनी में रखा जाता है। मान्यता है कि चंद्रमा की चांदनी में रखने से खीर अमृत के समान हो जाती है। इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।

इस दिन माता लक्ष्मी को गाय के दूध से बनी चावल की खीर का भोग अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही माता को पीले या सफेद रंग की मिठाइयाँ भी चढ़ाई जाती हैं। खीर बनाने के लिए चावल, गाय का दूध, चीनी, और इलायची पाउडर की आवश्यकता होती है।

शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर खीर खाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन किसी नए कार्य की शुरुआत करना भी मंगलदायक होता है। ज्योतिष के अनुसार, पूर्णिमा की रात चंद्रमा सभी 16 कलाओं से युक्त होता है, जिससे उसकी किरणों से अमृत वर्षा होती है।

खुले आसमान में खीर खाने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और निरोगी काया बनी रहती है। इस दिन व्रत रखने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। शरद पूर्णिमा का व्रत रखने के बाद, पूर्ण रात देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन की समस्याओं का अंत होता है और व्यक्ति को धन तथा वैभव प्राप्त होता है।

शरद पूर्णिमा पूजन विधि

शरद पूर्णिमा के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें। इसके बाद, घर के मंदिर को साफ करके माता लक्ष्मी और श्री हरि के पूजन की तैयारी करें।

  1. चौकी सजाएँ: एक चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
  2. मूर्ति स्थापना: इस पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
  3. माता लक्ष्मी का पूजन: शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। उनके आठ रूप हैं: धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, राज लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी 

इसके साथ ही, भारत के कई हिस्सों में भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है। उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा के साथ इस दिन लीला का आयोजन भी किया जाता है। इन सभी रूपों की पूजा से घर में सुख, समृद्धि, और धन की वर्षा होती है।

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