इस साल का ऑस्कर भारत के लिए खास होने जा रहा है, क्योंकि किरण राव की फिल्म ‘लापता लेडीज’ को ऑस्कर 2025 के लिए भारत की ऑफिशियल एंट्री के रूप में चुना गया है। फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की कमेटी ने 29 फिल्मों की लिस्ट में से ‘लापता लेडीज’ को चुना, जिसमें बॉलीवुड से लेकर मलयालम और तमिल सिनेमा की शानदार फिल्में शामिल थीं। इस फिल्म के चयन से न केवल फिल्म इंडस्ट्री में खुशी की लहर दौड़ी है, बल्कि यह आमिर खान के लंबे समय से अधूरे सपने को पूरा करने की दिशा में भी एक कदम है।
मुख्य बिंदु (Highlights)
‘लापता लेडीज’ की कहानी और थीम
‘लापता लेडीज’ एक हल्की-फुल्की व्यंग्यात्मक फिल्म है, जो समाज में महिलाओं की स्थिति और पहचान पर सवाल उठाती है। यह फिल्म पुरुष प्रधान समाज (patriarchy) पर एक व्यंग्य है और दिखाती है कि कैसे महिलाएं खुद को सामाजिक रूप से ‘खो’ देती हैं। फिल्म की कहानी ग्रामीण भारत के एक गांव पर आधारित है, जहां दो युवा महिलाएं एक ट्रेन में गुम हो जाती हैं और इसके बाद उनके परिवार और समाज में उनकी तलाश शुरू होती है। फिल्म इस संवेदनशील मुद्दे को एक कॉमेडी के अंदाज में पेश करती है, जिससे दर्शक हंसते भी हैं और सोचने पर मजबूर भी होते हैं।
ऑस्कर के लिए कैसे चुनी गई ‘लापता लेडीज’?
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की 13 सदस्यीय कमेटी ने आम सहमति से इस फिल्म को ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चुना। कमेटी की अध्यक्षता असम के डायरेक्टर जाह्नु बरुआ ने की। उन्होंने इस फिल्म के विषय और इसके प्रस्तुतिकरण की सराहना की।
इस कमेटी के सामने 29 फिल्मों की लिस्ट थी, जिसमें बॉलीवुड की बड़ी फिल्म ‘Animal’, मलयालम सिनेमा की नेशनल अवार्ड विजेता फिल्म ‘Aattam’, और कान्स फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स जीतने वाली ‘All We Imagine As Light’ भी शामिल थीं।
‘लापता लेडीज’ की सफलता
‘लापता लेडीज’ की पहली स्क्रीनिंग पिछले साल टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में हुई थी, जहां इसे काफी तारीफें मिलीं। इसके बाद फिल्म को मार्च 2024 में भारत में रिलीज किया गया, जहां यह फिल्म सीमित स्क्रीन पर रिलीज होने के बावजूद दर्शकों की खूब तारीफें बटोरने में कामयाब रही। यह फिल्म केवल 5 करोड़ रुपये के बजट में बनाई गई थी, लेकिन वर्ल्डवाइड इसने 25 करोड़ रुपये से ज्यादा का कलेक्शन किया। यह फिल्म किरण राव की निर्देशन में बनी बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जा रही है।
फिल्म में नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, स्पर्श श्रीवास्तव, छाया कदम, और रवि किशन ने शानदार अभिनय किया है। खासकर रवि किशन ने इस फिल्म में अपने किरदार से सभी का ध्यान खींचा है।
‘लापता लेडीज’ और महिला सशक्तिकरण
‘लापता लेडीज’ एक ऐसे विषय पर बनी फिल्म है जो समाज में महिलाओं की स्थिति और उनकी पहचान के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म इस बात पर रोशनी डालती है कि कैसे महिलाएं अपनी पहचान खोती हैं, और कई बार यह खोई हुई पहचान उन्हें फिर से पाने की प्रक्रिया से गुजरनी पड़ती है। फिल्म की कहानी व्यंग्यात्मक अंदाज में होती है, जिससे दर्शकों को न केवल हंसने का मौका मिलता है, बल्कि सोचने का भी अवसर मिलता है। यह फिल्म एक तरह से महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है और दिखाती है कि महिलाएं किसी भी स्थिति में खुद को कमजोर नहीं समझतीं।
आमिर खान और किरण राव की जोड़ी
इस फिल्म के प्रोड्यूसर आमिर खान और उनकी पूर्व पत्नी किरण राव की जोड़ी एक बार फिर से काम कर रही है। हालांकि दोनों के बीच व्यक्तिगत संबंधों में बदलाव आ चुका है, लेकिन प्रोफेशनल फ्रंट पर दोनों ने साथ काम करना जारी रखा है। किरण राव न केवल इस फिल्म की को-प्रोड्यूसर हैं, बल्कि उन्होंने इस फिल्म का निर्देशन भी किया है। आमिर खान के प्रोडक्शन के साथ यह फिल्म उनके निर्देशन की भी एक बड़ी उपलब्धि है।
ऑस्कर में आमिर खान का सपना
आमिर खान के लिए ‘लापता लेडीज’ एक महत्वपूर्ण फिल्म है, क्योंकि यह उनकी प्रोडक्शन कंपनी से ऑस्कर के लिए भेजी गई चौथी फिल्म है। इससे पहले 2001 में उनकी फिल्म ‘लगान’ ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्ट हुई थी और इसे बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म केटेगरी में नॉमिनेशन मिला था। इसके बाद उनकी दो और फिल्में, ‘तारे जमीं पर’ और ‘पीपली लाइव’, भी भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए भेजी गई थीं, लेकिन वे शॉर्टलिस्ट नहीं हो सकीं। आमिर का यह सपना है कि उनकी कोई फिल्म ऑस्कर में जीत हासिल करे और ‘लापता लेडीज’ के चयन के बाद यह सपना फिर से जीवंत हो गया है।
ऑस्कर की रेस और विवाद
हालांकि ‘लापता लेडीज’ को ऑस्कर के लिए चुने जाने पर खुशी जताई जा रही है, लेकिन कुछ आलोचक इस निर्णय पर सवाल भी उठा रहे हैं। खासकर फिल्म ‘All We Imagine As Light’ को नजरअंदाज किए जाने को लेकर विवाद हुआ है, जो इस साल कान्स फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स जीत चुकी है। इसके अलावा, कुछ लोगों का मानना है कि हिंदी सिनेमा को ज्यादा प्राथमिकता दी गई, जबकि मलयालम और तमिल सिनेमा से भी बेहतरीन फिल्में इस दौड़ में थीं।
क्या इस बार ऑस्कर मिलेगा?
भारत के लिए ऑस्कर की रेस हमेशा चुनौतीपूर्ण रही है। हालांकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म निर्माण देश है, फिर भी अब तक भारत की सिर्फ तीन फिल्में ऑस्कर के बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म (Best International Feature Film) केटेगरी में नॉमिनेट हो पाई हैं: ‘मदर इंडिया’ (1957), ‘सलाम बॉम्बे’ (1988), और ‘लगान’ (2001)।
हालांकि भारत की फिल्में अब भी ऑस्कर जीतने की उम्मीद लगाए बैठी हैं, लेकिन कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या भारतीय फिल्मों को वाकई में ऑस्कर जैसे ग्लोबल मंच पर पहचान की जरूरत है? भारतीय सिनेमा विश्व के सबसे पुराने और समृद्ध सिनेमा उद्योगों में से एक है, जिसकी शुरुआत 1910 के दशक में हुई थी, यानी उसी दशक में जब हॉलीवुड की शुरुआत हुई थी।
‘लापता लेडीज’ का ऑस्कर की दौड़ में होना न केवल किरण राव और आमिर खान के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह भारतीय सिनेमा के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है। यह फिल्म न केवल भारत में महिला सशक्तिकरण की बात करती है, बल्कि दुनिया के सामने भी इस संवेदनशील मुद्दे को उजागर करती है। अब यह देखना होगा कि ‘लापता लेडीज’ का ऑस्कर में सफर कहां तक पहुंचता है और क्या आमिर खान का सपना इस बार पूरा होता है।
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