दीपावली 2024: जानें तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

दीवाली इस वर्ष 31 अक्टूबर, 2024, को मनाई जाएगी, जब रात को अमावस्या का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि अमावस्या की रात मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और भक्तों के घरों में प्रवेश करती हैं, जिससे घर में समृद्धि और सुख-शांति आती है। यही कारण है कि इस दिन हर कार्य शुभ मुहूर्त के अनुसार करना उचित माना जाता है।

दीवाली, जिसे प्रकाश का त्योहार भी कहा जाता है, अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पांच दिनों तक चलने वाला पर्व होता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज के साथ होता है। इन दिनों के दौरान, लोग घरों को साफ-सुथरा करके, दीप जलाकर, और मां लक्ष्मी की पूजा करके अपने घरों में सकारात्मकता और समृद्धि का स्वागत करते हैं।

दीपावली का शाब्दिक अर्थ है ‘दीपों की पंक्ति,’ जो इस पर्व का प्रमुख प्रतीक है। इस उत्सव के दौरान, घरों, मंदिरों और गलियों को दीपों और रोशनी से सजाया जाता है, जिससे चारों ओर उल्लास और उमंग का माहौल बनता है।

मुख्य बिंदु (Highlights)

दिवाली 2024: सही तारीख और समय का महत्व (Date and Time)

हर साल, दिवाली का मुख्य पर्व कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष की सबसे अंधेरी रात होती है। इस साल, दिवाली की तिथि को लेकर लोगों में काफी असमंजस की स्थिति है। बहुत से लोग अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी या फिर 1 नवंबर को। अगर आप भी अपने परिवार के साथ इस पर्व को सही समय पर मनाने की तैयारी कर रहे हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि दिवाली कब मनाना उचित रहेगा।

इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और 1 नवंबर की शाम 5 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली की पूजा प्रदोष काल के बाद की जाती है, जब अमावस्या की रात होती है। इसी कारण से, 31 अक्टूबर की रात को लक्ष्मी पूजा और दीप जलाना अधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि उस समय अमावस्या का प्रभाव पूरी तरह से रहेगा। यह भी कहा जाता है कि अमावस्या की रात को माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों के घरों में प्रवेश करती हैं, इसलिए इस समय को खास माना गया है।

जो लोग काली पूजा करते हैं, उनके लिए भी 31 अक्टूबर को पूजा करना शुभ रहेगा। इस दिन मां काली की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, जो भक्त अमावस्या पर दान, स्नान और अन्य धार्मिक कर्मकांड करते हैं, वे 1 नवंबर को इन कार्यों को कर सकते हैं। हालांकि, दिवाली का मुख्य पर्व 31 अक्टूबर को ही मनाना तर्कसंगत और शुभ रहेगा।

पंचांग के अनुसार, वैदेही, ऋषिकेश, और विशेषज्ञों ने भी इस बात पर सहमति जताई है कि इस वर्ष दिवाली 31 अक्टूबर को मनाना सर्वसम्मत है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह दिन सबसे शुभ और फलदायी माना गया है, क्योंकि अमावस्या की रात्रि के समय लक्ष्मी पूजा करना विशेष फल प्रदान करता है।

5 दिनों का त्योहार और महत्वपूर्ण तिथियां (5-Day Festival)

दिवाली का त्योहार पांच दिनों तक चलता है, और हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है। इस वर्ष 2024 में, दिवाली उत्सव 29 अक्टूबर से शुरू होकर 3 नवंबर तक चलेगा। हर दिन के साथ अलग-अलग पूजा विधियों और पर्वों का आयोजन किया जाता है। आइए जानते हैं कौन-कौन से प्रमुख त्योहार और शुभ मुहूर्त इन दिनों में पड़ते हैं।

1. धनतेरस – 29 अक्टूबर 2024
धनतेरस
से दिवाली उत्सव की शुरुआत होती है। इस दिन सोना-चांदी खरीदना, बर्तन लाना और खासतौर पर झाड़ू खरीदकर लाना शुभ माना जाता है। यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा के लिए समर्पित होता है, ताकि स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिले।

2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) – 31 अक्टूबर 2024
छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, दिवाली के एक दिन पहले मनाई जाती है। यह दिन नरकासुर के वध का प्रतीक है, जब भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का अंत किया था। लोग इस दिन घर की सफाई और सजावट करते हैं, ताकि अगले दिन की मुख्य दिवाली पूजा के लिए घर तैयार हो सके।

3. दीपावली और लक्ष्मी पूजन – 31 अक्टूबर 2024
दिवाली का मुख्य दिन 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माना जाता है कि अमावस्या की रात मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं और अपने भक्तों के घर में समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन दीप जलाकर घर को रोशन किया जाता है, और रात्रि में लक्ष्मी पूजा विशेष रूप से की जाती है।

4. अन्नकूट और गोवर्धन पूजा – 2 नवंबर 2024
गोवर्धन पूजा का दिन भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र देव के क्रोध से गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों की रक्षा करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक पूजन करते हैं और अन्नकूट (विशाल भोजन) का आयोजन करते हैं।

5. यम द्वितीया और भाई दूज – 3 नवंबर 2024
भाई दूज का दिन भाई-बहन के प्रेम और संबंध का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए पूजा करती हैं। भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और दोनों मिलकर इस दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

लक्ष्मी पूजा 2024: शुभ मुहूर्त और सही समय (Laxmi Puja 2024: Timings)

दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा को बेहद शुभ माना जाता है। हर साल की तरह, इस साल भी लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष समय का ध्यान रखा जाना चाहिए। पंचांग के अनुसार, 2024 में कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और 1 नवंबर को शाम 5 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। लक्ष्मी पूजा का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल और स्थिर लग्न में आता है। आइए जानते हैं लक्ष्मी पूजन के लिए सही मुहूर्त।

1. प्रदोष काल मुहूर्त
प्रदोष काल, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है, लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस साल दिवाली के दिन प्रदोष काल का समय शाम 5:36 बजे से 6:15 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

2. स्थिर लग्न (वृषभ लग्न) का मुहूर्त
स्थिर लग्न में पूजा करने से लक्ष्मी जी घर में स्थायी रूप से वास करती हैं। 31 अक्टूबर को वृषभ लग्न का समय शाम 6:28 बजे से रात 8:24 बजे तक रहेगा। यह मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे अधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि यह स्थिर लग्न है।

3. सिंह लग्न का मुहूर्त
जो लोग दोपहर में पूजा करना चाहते हैं, उनके लिए सिंह लग्न का समय उपयुक्त है। इस साल सिंह लग्न का समय दोपहर 12:56 बजे से 3:10 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजा करने से भी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।

इस वर्ष 2024 में लक्ष्मी पूजा के ये मुहूर्त आपके घर में समृद्धि और सुख-शांति लाने के लिए सबसे उपयुक्त हैं। दिवाली पर सही समय में पूजा करके आप मां लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं और अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।

लक्ष्मी पूजा व्रत और अनुष्ठान (Laxmi Puja Vrat and Rituals)

दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर परिवार के पूर्वजों और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। चूंकि यह अमावस्या होती है, इसलिए श्राद्ध भी किया जाता है। इस दिन उपवास रखा जाता है। भक्त दिनभर उपवास करते हैं और शाम को लक्ष्मी पूजा के बाद ही खाना खाते हैं।

लक्ष्मी पूजा की तैयारी में हिंदू अपने घरों और दुकानों को सजाते हैं। गेंदे के फूलों की लड़ियाँ और अशोक, आम, तथा केले के पत्तों से सजावट की जाती है। पूजा के लिए कलश में नारियल रखा जाता है और इसे मुख्य द्वार के दोनों ओर रखना शुभ माना जाता है।

पूजा के लिए, एक ऊंचे आसन के दाहिनी ओर लाल कपड़ा बिछाया जाता है। इस पर श्री गणेश और देवी लक्ष्मी की सुंदर मूर्तियाँ सजाई जाती हैं। बायीं ओर सफेद कपड़ा बिछाकर नवग्रह स्थापित किए जाते हैं। सफेद कपड़े पर नौ जगह अक्षत (अखंडित चावल) से छोटे समूह बनाए जाते हैं, जिन पर नवग्रह की स्थापना की जाती है।

लाल कपड़े पर गेहूं या गेहूं के आटे से सोलह टीले बनाए जाते हैं। लक्ष्मी पूजा विधि का पालन करके इसे सही तरीके से संपन्न किया जाता है। इस प्रकार, लक्ष्मी पूजा भक्ति और श्रद्धा का एक महत्वपूर्ण पर्व है।

दीवाली का आरम्भ और महत्व (Origin and Significance of Diwali)

दीवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख और ऐतिहासिक त्यौहार है जिसका आरम्भ सदियों पुराना है। इसके महत्व का वर्णन भगवान राम के युग से लेकर सागर मंथन तक की पौराणिक कथाओं में मिलता है। यह त्यौहार ज्ञान की जीत, अंधकार पर प्रकाश की विजय, और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू धर्म, जो दुनिया के प्राचीनतम धर्मों में से एक है, में दीवाली को एक विशेष स्थान प्राप्त है और इसे विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के साथ मनाया जाता है।

रामायण और दीवाली उत्सव

दिवाली के उत्सव का सबसे प्रसिद्ध कारण हिंदू महाकाव्य रामायण से जुड़ा हुआ है। इस महाकाव्य के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ ने अपने पुत्र राम को 14 वर्षों के लिए वनवास जाने का आदेश दिया था। राम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ जंगल में निर्वासन का समय बिताया। इस दौरान, दानव राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया, जिसके बाद भगवान राम ने रावण का वध कर सीता को बचाया और 14 वर्षों के बाद अयोध्या लौटे।

अयोध्या के लोग अपने प्रिय राजकुमार राम, माता सीता, और लक्ष्मण की घर वापसी से अत्यधिक प्रसन्न हुए। उनकी खुशी को मनाने के लिए, घरों में दीपक जलाए गए, आतिशबाजी की गई, और पूरे नगर को प्रकाशमय कर दिया गया। इसी घटना से दिवाली की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है, जिसे आज भी हर साल उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

महाभारत और दीवाली उत्सव

दिवाली के त्यौहार से संबंधित एक और प्रसिद्ध कथा महाभारत में मिलती है। यह महाकाव्य बताता है कि कैसे पांच पांडव भाई, जुए के खेल में कौरवों के हाथों हार गए और उन्हें 13 वर्षों के लिए निर्वासन में भेज दिया गया। जब पांडव निर्वासन की अवधि पूरी करके कार्तिक अमावस्या के दिन हस्तिनापुर लौटे, तो राज्यवासियों ने उनके स्वागत में दिए जलाकर पूरे राज्य को प्रकाशमय किया।

इस उत्सव के माध्यम से पांडवों की घर वापसी का जश्न मनाया गया, और यह परंपरा समय के साथ दिवाली के रूप में जीवित रही। महाभारत की यह कथा भी दिवाली के महत्व को और बढ़ाती है, जो घर वापसी और विजय का प्रतीक मानी जाती है।

सागर मंथन और लक्ष्मी का प्राकट्य

दिवाली की एक और पौराणिक कथा सागर मंथन से जुड़ी है, जब देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। इस मंथन से कई बहुमूल्य वस्तुएं निकलीं, जिनमें देवी लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, और दिवाली के दिन विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है। इस कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में दीवाली का त्यौहार मनाया जाता है।

दीवाली का आधुनिक महत्व

आज भी, दिवाली न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह त्यौहार अज्ञानता से ज्ञान की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और बुराई से अच्छाई की ओर बढ़ने का प्रतीक है। इस अवसर पर लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, लक्ष्मी पूजन करते हैं, और आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए उपहार और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। दीवाली का यह संदेश कि हर कठिनाई के बाद उजाला आता है, लोगों के जीवन में नई आशा और उमंग भरता है।

दीवाली का महत्व और इसका उत्सव समय के साथ कई रूपों में सामने आया है, लेकिन इसका मूल संदेश आज भी वैसा ही है: अच्छाई की विजय, प्रेम और भाईचारे का प्रचार, और जीवन में नई शुरुआत का स्वागत।

दीवाली उत्सव पर परंपराएं (Traditions of Diwali Celebration)

दीवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, एक विशेष उत्सव है जिसमें कई परंपराओं और अनुष्ठानों का पालन किया जाता है। ये परंपराएं विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में भिन्न हो सकती हैं, लेकिन कुछ सामान्य गतिविधियाँ सभी जगहें समान रूप से मनाई जाती हैं। यहाँ दीवाली के दौरान की जाने वाली प्रमुख परंपराएं प्रस्तुत हैं:

1. घर की सफेदी और सजावट

दीवाली से पहले घरों को सफेद या नए रंग से पेंट किया जाता है। यह नए सिरे से शुरुआत का प्रतीक है। साथ ही, घर को सजाने के लिए रंग-बिरंगी झालरें, बत्तियाँ और अन्य सजावटी सामान लगाया जाता है।

2. नए कपड़े और गहने खरीदना

इस अवसर पर नए कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। लोग अपने लिए और अपने परिवार के लिए नए कपड़े और गहने खरीदते हैं, ताकि त्यौहार की खुशियों का आनंद लिया जा सके।

3. नए घरेलू सामान खरीदना

दीवाली पर नए बर्तन, घर के सामान या अन्य उपयोगी वस्तुएं खरीदने की परंपरा है। यह देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए किया जाता है।

4. पारंपरिक मिठाइयाँ बनाना

घर में विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ जैसे लड्डू, बरफी, और चॉकलेट्स बनाई जाती हैं। ये मिठाइयाँ रिश्तेदारों और मित्रों के साथ बाँटने के लिए होती हैं।

5. देवी-देवताओं की पूजा

इस दिन विशेष रूप से देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लोग विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करके उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।

6. दीप जलाना और सजाना

दीपावली की सबसे प्रमुख परंपरा है दीप जलाना। घर के हर कोने में मिट्टी के दीपक (दीप) जलाए जाते हैं और बिजली के झिलमिलाते दीपों से सजाया जाता है।

7. पटाखे फोड़ना

दीवाली का उत्सव पटाखों के साथ मनाने की परंपरा भी है। यह खुशी और उत्साह का प्रतीक है, और लोग आतिशबाजी का आनंद लेते हैं।

8. दीवाली के उपाय

धन की देवी लक्ष्मी के आगमन के लिए विभिन्न उपाय किए जाते हैं, जैसे कि लक्ष्मी पूजन, घर की सफाई, और आर्थिक समृद्धि के लिए विशेष अनुष्ठान।

9. रिश्तेदारों और मित्रों से मिलना

दीवाली पर रिश्तेदारों, मित्रों और परिवार के सदस्यों से मिलने का अवसर होता है। यह आपसी संबंधों को मजबूत करने का एक सुंदर तरीका है।

10. मिठाई और उपहार बाँटना

इस अवसर पर मिठाई, सूखे मेवे और उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है। यह प्यार और स्नेह का प्रतीक है, और सभी के बीच खुशी फैलाने का माध्यम है।

11. शुभकामनाओं का आदान-प्रदान

परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और मित्रों के साथ दीवाली की शुभकामनाएं साझा की जाती हैं। इस समय एक-दूसरे को बधाई देना और खुशियों का आदान-प्रदान करना महत्वपूर्ण होता है।

इन सभी परंपराओं का उद्देश्य एकत्रित होकर खुशी और समृद्धि का उत्सव मनाना है। दीवाली सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह प्रेम, स्नेह, और एकता का प्रतीक भी है।

दीवाली के स्थानीय रंग (Regional Celebrations of Diwali)

दीवाली का त्यौहार भारत के विभिन्न हिस्सों में भिन्नता के साथ मनाया जाता है, जो स्थानीय परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक विशेषताओं पर निर्भर करता है। यहाँ दीवाली के क्षेत्रीय उत्सवों की कुछ प्रमुख भिन्नताएँ प्रस्तुत की गई हैं:

1. उत्तर भारत

उत्तर भारतीय राज्यों में दीवाली का उत्सव अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यहाँ यह त्यौहार विशेष रूप से भगवान राम की अयोध्या वापसी और देवी लक्ष्मी के आगमन के रूप में मनाया जाता है। लोग घरों को दीपों और रंगोली से सजाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं, और देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। इस क्षेत्र में दीवाली के समय रात को भव्य आतिशबाजी का आनंद लेना विशेष रूप से लोकप्रिय है। दिल्ली, हैदराबाद और मुम्बई जैसे महानगर इस उत्सव के दौरान विशेष रूप से सजते हैं।

2. दक्षिण भारत

दक्षिण भारत में दीवाली का महत्व उत्तर भारत की तरह नहीं है। यहाँ, विशेष रूप से तमिलनाडु में, नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली) को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग इस दिन विशेष स्नान और पूजा करते हैं। दीवाली का उत्सव यहाँ लक्ष्मी पूजा की तुलना में कम ध्यान आकर्षित करता है।

3. पश्चिम बंगाल

कोलकाता में दीवाली के तीसरे दिन देवी काली की पूजा की जाती है। यहाँ यह त्यौहार “काली पूजा” के रूप में मनाया जाता है, जो कि देवी काली की आराधना और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लोग इस दिन विशेष पूजा अर्चना करते हैं और पारंपरिक मिठाइयाँ बनाते हैं।

4. अन्य क्षेत्रीय विशेषताएँ

  • गुजरात: यहाँ दीवाली को “वसुबरस” के साथ जोड़ा जाता है, जहाँ गायों की पूजा की जाती है। इसके अलावा, गुजराती लोग इस दिन नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत भी मनाते हैं।
  • महाराष्ट्र: यहाँ दीवाली को “दीपावली” के नाम से मनाया जाता है, और लोग अपने घरों को दीयों और रंगोली से सजाते हैं।
  • राजस्थान: राजस्थान में दीवाली के साथ “गोधूलि वेला” का विशेष महत्व है, जहाँ लोग मिट्टी के दीयों से अपने घरों को रोशन करते हैं।

इस प्रकार, दीवाली का त्यौहार भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी-अपनी विशेषताओं और परंपराओं के साथ मनाया जाता है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाता है।

दीवाली पर सामुदायिक जीवन (Community Life during Diwali)

दीवाली के दौरान भारत में सार्वजनिक जीवन पर उत्सवों का गहरा असर होता है, जो धार्मिक समारोहों को रोजमर्रा की गतिविधियों के साथ मिलाता है। अधिकांश सार्वजनिक स्थान, जैसे रेस्तरां, बार, मेट्रो सेवाएं, बसें, टैक्सी, सिनेमा हॉल और दुकानें, विशेष रूप से त्योहार की पूर्व संध्या पर, सामान्यतः खुले रहते हैं, जबकि अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं सामान्य रूप से काम करती हैं। हालांकि, इस समय कई कर्मचारी छुट्टी लेते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में कार्यबल को प्रभावित करता है। दीवाली पर, कई व्यवसाय लक्ष्मी पूजा में भाग लेते हैं, जिससे दुकानों और कार्यालयों का खुला रहना सुनिश्चित होता है। शेयर बाजार दिवाली के अवकाश के कारण बंद रहता है, लेकिन शाम को मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए एक घंटे के लिए खुलता है, जो व्यापारियों द्वारा शुभ माना जाता है। यह उत्सव का समय व्यवसायों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस अवधि में बिक्री चरम पर होती है, और कई बड़ी बॉलीवुड फिल्में भी रिलीज होती हैं। चूंकि दीवाली एक सार्वजनिक छुट्टी के रूप में मान्यता प्राप्त है, सरकारी कार्यालय और अधिकांश विद्यालय तथा महाविद्यालय बंद रहते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, महानगरों ने ध्वनि और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए और रात को शांति से सोने की इच्छा रखने वालों के लिए आतिशबाजी के लिए समय सीमा निर्धारित की है, आमतौर पर पटाखे फोड़ने के लिए रात 10 या 11 बजे तक की अनुमति होती है। इस प्रकार, दीवाली केवल एक व्यक्तिगत और पारिवारिक उत्सव नहीं है, बल्कि इसका सार्वजनिक जीवन, वाणिज्य और पर्यावरणीय चिंताओं पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।

दीवाली की शुभकामनाओं के संदेश – अपने प्रियजनों को भेजें प्यार और समृद्धि से भरी खास शुभकामनाएं!

अपने प्रियजनों को भेजें ‘दीवाली’ की शुभकामनाएं। खास तौर पर आपके लिए तैयार किए गए SMS संदेश, Whatsapp संदेश और शुभकामनाएं।

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Greeting Messages in English
Wishing you a Diwali filled with the warmth of family and friends. Happy Diwali!
May the diyas light up your life and the rangoli brighten your days with prosperity. Happy Dipawali!
May this Diwali bring peace and prosperity to your life!
May the divine light of Diwali shine upon you, guiding you towards the path of righteousness and virtue. Happy Diwali!
May the festival of lights fill your life with joy, peace, and prosperity. Happy Deepawali!
May the divine light of Diwali guide you on your path to success and happiness. Happy Diwali!
Wishing you a Diwali that brings you the best of luck, success, and endless moments of joy. Happy Dipawali!
May this Diwali fill your heart with love, your soul with peace, and your home with laughter. Wishing for your happiness and well-being.
Wishing you and your family divine blessings this Diwali, just like Lord Rama and Goddess Lakshmi bless you with prosperity. May you be blessed and joyful all the time!
Let the light shine within your house also within your hearts. Joyous wishes for a wealthy and blissful celebration!
शुभकामना संदेश हिंदी में
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं! दुनिया उजालों से रोशन हो, घर पर मां लक्ष्मी का आगमन हो।
दीपों का ये पावन त्योहार, आपके लिए लाए खुशियां हज़ार, लक्ष्मी जी विराजें आपके द्वार, हमारी शुभकामनाएं करे स्वीकार। 
रोशनी का त्योहार आपके जीवन में खुशियां लाए और आपके दिलों को खुशियों से भर दे।
दीपावली के पावन पर्व पर आपकी हर मनोकामना पूरी हो।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं! आप यूं ही दीपों की तरह जगमगाते रहें।
दीपावली का यह पर्व लाए अनगिनत खुशियाँ, शुभ दीपावली मेरे प्यारे दोस्त।
दीपावली के इस पावन दिन पर, मैं कामना करता हूँ कि आपका दिल खुशी, शांति और समृद्धि से भरा रहे।
दीपावली का ये प्यारा त्योहार, जीवन में लाए आपके खुशियां अपार, लक्ष्मी जी विराजे आपके द्वार, शुभकामना हमारी करें स्वीकार।
दीयों की रोशनी से झिलमिलाता आंगन हो, पटाखों की गूंज से ये आसमान रोशन हो, ऐसी झूम के आई ये दिवाली, चारों ओर मानो खुशियों का मौसम हो।
दीपावली के पावन पर्व पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं।

दीवाली की तस्वीरें / Diwali Images for Sharing

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