धनतेरस 2024: तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और खरीदारी का महत्व

धनतेरस 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार को है, जो पांच दिवसीय दिवाली पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है, जब भगवान धन्वंतरि, कुबेर देव और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन, वाहन, जमीन और झाड़ू जैसी नई चीजें खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे जीवन में धन और समृद्धि की वृद्धि होती है। यह त्योहार दिवाली से पहले मनाया जाता है, ताकि माता लक्ष्मी की कृपा से घर धन-धान्य से भर जाए।

मुख्य बिंदु (Highlights)

धनतेरस क्यों मनाया जाता है (Why Is Dhanteras Celebrated)

धनतेरस या धनत्रयोदशी को धन और समृद्धि का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व हर साल हिन्दू कैलेंडर ‘विक्रम संवत’ के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इसी कारण इस दिन सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण, बर्तन, वाहन, जमीन और झाड़ू खरीदने की परंपरा है। भगवान धन्वंतरि को देवताओं के चिकित्सक और भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा भी इस दिन की जाती है।

धनतेरस 2024 कब है? (When is Dhanteras 2024?)

इस वर्ष धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:31 बजे से होगा और इसका समापन 30 अक्टूबर 2024 को सुबह 01:15 बजे होगा। हालांकि त्रयोदशी तिथि 30 अक्टूबर तक रहेगी, लेकिन धनतेरस का मुख्य पर्व 29 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।

धनतेरस 2024 पूजा मुहूर्त (Dhanteras Puja Muharat)

29 अक्टूबर को गोधूलि काल का आरंभ शाम 06:31 बजे से होगा और यह रात 08:31 बजे तक चलेगा। इस दौरान धनतेरस की पूजा के लिए 1 घंटा 42 मिनट का शुभ समय उपलब्ध होगा।

  • कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 29 अक्टूबर 2024, सुबह 10:31 बजे
  • कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि समाप्त: 30 अक्टूबर 2024, दोपहर 01:15 बजे
  • धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 06:31 बजे से रात 08:13 बजे तक
  • यम दीपम मुहूर्त: शाम 05:38 बजे से शाम 06:55 बजे तक

धनतेरस की खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त (Auspicious Time for Shopping)

वैदिक पंचांग के अनुसार, धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है, जो सुबह 6:32 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 10:30 बजे तक रहेगा। इस योग में की गई खरीदारी से धन में तीन गुना वृद्धि होती है। साथ ही, इस दिन अभिजीत मुहूर्त भी बन रहा है। यह शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर को सुबह 11:42 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक रहेगा, जिसके दौरान आप खरीदारी कर सकते हैं।

धनतेरस के दिन सोना खरीदना मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और घर-परिवार में सुख-संपत्ति लाने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। इस दिन लोग सोना-चांदी खरीदते हैं और सोने में निवेश करते हैं, क्योंकि सोना सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सोने के सिक्के खरीदना भी शुभ होता है। भगवान धन्वंतरी सागर मंथन के दौरान अपने हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, और उन्हें लक्ष्मी जी का भाई माना जाता है। भगवान धन्वंतरी को पीले रंग की धातु अधिक प्रिय है, इसलिए भी इस दिन सोना खरीदने की परंपरा है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि केवल सोना ही खरीदना शुभ होता है। लोग अपनी क्षमता के अनुसार सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन, वाहन, जमीन और झाड़ू जैसी नई चीजें भी खरीद सकते हैं। ये सभी वस्तुएं भी अत्यंत शुभ मानी जाती हैं।

धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)

धनतेरस के दिन पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाएं:

  1. सुबह की तैयारी:
    • सुबह साफ-सफाई के बाद सूर्योदय से पहले स्नान करें और साफ या नए कपड़े पहनें।
  2. रंगोली और साफ-सफाई:
    • मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।
    • अपने कार्यस्थल या दुकान को भी अच्छी तरह साफ करें।
  3. माला पहनाना और लक्ष्मी जी के निशान:
    • माला पहनाएं और लक्ष्मी जी के पैरों के निशान बनाएं।
  4. भगवान धन्वंतरी की पूजा:
    • भगवान धन्वंतरी को कृष्ण तुलसी, गाय का दूध और मक्खन चढ़ाएं।
    • यदि आपने पीतल की वस्तुएं खरीदी हैं, तो उन्हें उपहार में दें।
    • धन्वंतरी स्तोत्र का पाठ करें।
  5. कुबेर और लक्ष्मी जी की पूजा:
    • धन के देवता कुबेर और माता लक्ष्मी की षोडोपचार विधि से पूजा करें।
    • कुमकुम, हल्दी, चावल और भोग चढ़ाएं।
    • उत्तर दिशा में देवताओं की पूजा करें।
  6. खरीदारी का शुभ मुहूर्त:
    • शुभ मुहूर्त में खरीदारी करें। जो भी वस्तु खरीदें, उसे पहले धनतेरस की पूजा में माता लक्ष्मी को अर्पित करें और फिर उसका उपयोग करें।
  7. दीपक बनाना:
    • शाम के समय आटे से चौमुखा दीपक बनाएं।
    • इसमें सरसों या तिल का तेल डालकर घर के बाहर दक्षिण दिशा में या दहलीज पर रखें।

इन विधियों का पालन करके आप धनतेरस पर अपनी पूजा को सफल बना सकते हैं और माता लक्ष्मी तथा भगवान धन्वंतरी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

धनतेरस का महत्त्व (Importance of Dhanteras)

धनतेरस का दिन धन, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक है। इस पर्व का संबंध भगवान धन्वंतरि, जो चिकित्सा के देवता हैं, और देवी लक्ष्मी, जो धन की देवी हैं, की पूजा से जुड़ा हुआ है।

धनतेरस पर लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ दान करते हैं और त्यौहारी खरीदारी में भाग लेते हैं, क्योंकि इसे भाग्य और आशीर्वाद लाने वाला दिन माना जाता है। इस दिन को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, जिसमें ‘धन’ का अर्थ है धन और ‘तेरस या त्रयोदशी’ का मतलब है तेरहवां दिन।

धनतेरस को धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन खरीदी गई वस्तुएं अनंत फल देती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुओं का मूल्य भविष्य में तेरह गुना बढ़ जाता है, इसलिए सोना, चांदी, जमीन और वाहन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।

इस दिन परिवार के किसी सदस्य की असामयिक मृत्यु से बचने के लिए मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपम कहा जाता है। यह धार्मिक संस्कार त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है।

धनतेरस का यह महत्व इसे न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी विशेष बनाता है।

धनतेरस के पर्व से कई महत्वपूर्ण कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाती हैं।

1. भगवान धन्वंतरि की कथा

भागवत पुराण के अनुसार, धनतेरस का पहला संबंsध भगवान धन्वंतरि से है। कहा जाता है कि देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। इस मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद की पवित्र पुस्तक के साथ प्रकट हुए। वे अमृत कलश भी लेकर आए, जिसके लिए देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष हुआ। भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर अपनी बुद्धिमता से देवताओं को अमृत पिलाया। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने मानवता के लिए आयुर्वेद का ज्ञान प्रदान किया।

2. मां लक्ष्मी की कथा

दूसरी कथा के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी भी प्रकट हुईं। मां लक्ष्मी सोने से भरे बर्तनों के साथ समुद्र से निकलीं और उन्होंने भगवान विष्णु को अपने वर के रूप में चुना, जिनसे उनका विवाह हुआ। सोना धन, समृद्धि और खुशी का प्रतीक है। तभी से धनतेरस पर मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए सोने-चांदी सहित कई वस्तुएं खरीदी जाती हैं।

3. किसान की कथा

मां लक्ष्मी से जुड़ी एक और कथा यह है कि एक बार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी पृथ्वी का दौरा करने गए। इस दौरान भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी से कहा कि वे केवल दक्षिण दिशा में देख सकती हैं। देवी लक्ष्मी इस शर्त पर कायम नहीं रह सकीं, जिससे नाराज होकर भगवान विष्णु ने उन्हें 12 वर्षों तक एक गरीब किसान की सेवा करने का आदेश दिया। देवी लक्ष्मी के उस किसान के परिवार में आने से, उसकी खेती समृद्ध हुई। जब 12 साल बाद किसान ने देवी लक्ष्मी को जाने से मना किया, तो उन्होंने अपनी असली पहचान बताई और हर धनतेरस पर उससे मिलने का वादा किया। इसी के बाद से किसान ने अपने घर को साफ रखना और धनतेरस पर दीया जलाना शुरू किया, जो आज भी एक परंपरा बन गई है। इन कथाओं के माध्यम से धनतेरस का पर्व न केवल धन और समृद्धि का उत्सव है, बल्कि यह स्वास्थ्य और खुशियों का भी प्रतीक है।

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