छठ पूजा (2024) इस साल 5 नवंबर से शुरू होकर 8 नवंबर तक मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, इस महापर्व का आरंभ कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होता है, और इसका समापन सप्तमी तिथि पर होता है। हर साल दीवाली के छह दिन बाद छठ पूजा की जाती है, जिसमें संध्याकाल और प्रातःकाल के अर्घ्य का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष षष्ठी तिथि 7 नवंबर की देर रात 12:41 बजे से प्रारंभ होकर 8 नवंबर की देर रात 12:34 बजे तक रहेगी। संध्याकाल का अर्घ्य 7 नवंबर को जबकि प्रातःकाल का अर्घ्य 8 नवंबर को अर्पित किया जाएगा।
छठ पर्व की उत्पत्ति बिहार और पूर्वांचल से मानी जाती है, लेकिन अब यह भारत के विभिन्न राज्यों और विदेशों में भी मनाया जाने लगा है। केवल बिहार और पूर्वांचल के लोग ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी इस पर्व के प्रति आस्थावान होकर छठ व्रत करने लगे हैं। हर साल छठ पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु (Highlights)
छठ पूजा 2024: तिथियाँ और विशेष पूजा विधि (Chhath Puja 2024 Dates & Rituals)
नहाय खाय (5 नवंबर 2024) (Nahay Khaye):
छठ पूजा का आरंभ नहाय खाय से होता है, जो इस वर्ष 5 नवंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर शुद्ध, सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। यह दिन सिर्फ एक बार भोजन करने का होता है, जिससे पूजा की पवित्रता और श्रद्धा बनाए रखी जाती है। सूर्योदय का समय सुबह 6:39 और सूर्यास्त शाम 5:41 बजे रहेगा।
खरना (6 नवंबर 2024) (Kharna):
दूसरे दिन, 6 नवंबर को खरना का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन व्रती सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर यह पूजा होती है। इस दिन सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना कर विशेष भोग लगाया जाता है।
संध्या अर्घ्य (7 नवंबर 2024) (Sandhya Arghya):
7 नवंबर को छठ पूजा का तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है। व्रती सूर्यास्त के समय जल में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। बांस के सूप में फल, गन्ना, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि रखकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन का सूर्यास्त शाम 5:29 बजे है, जो छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण क्षण माना जाता है।
उषा अर्घ्य (8 नवंबर 2024) (Usha Arghya):
आखिरी दिन, 8 नवंबर की सुबह व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। प्रातःकालीन अर्घ्य के साथ व्रत का समापन किया जाता है। इस दिन सूर्योदय सुबह 6:37 पर होगा, और इसके बाद व्रती अपना व्रत तोड़कर प्रसाद वितरण करते हैं। इस प्रकार चार दिनों का यह महापर्व भक्तों की श्रद्धा और समर्पण से संपन्न होता है।
छठ पर्व और छठ मैया का महत्व (Significance of Chhath Festival & Chhath Maiya)
छठ पर्व मुख्य रूप से कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि का छठ पर्व, जिसे चैती छठ कहा जाता है, भी बहुत प्रचलित है। दोनों ही छठ व्रत भगवान सूर्य और षष्ठी माता को समर्पित हैं। इस पर्व में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठ मैया की पूजा की जाती है।
छठ पर्व का आरंभ नहाय खाय से होता है। पहले दिन, व्रती नदी में स्नान करके एक समय भात, कद्दू की सब्जी और सरसों का साग ग्रहण करती हैं। दूसरे दिन खरना मनाया जाता है, जिसमें शाम को व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगाती हैं, और पूरा परिवार इस प्रसाद का सेवन करता है।
तीसरे दिन, अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जबकि चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन किया जाता है। छठ पूजा को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस दौरान श्रद्धालुओं को कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है।
यह व्रत परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और रोगमुक्त जीवन के लिए किया जाता है। इस त्योहार के दौरान सूर्य की आराधना से हमें ऊर्जा और शक्ति मिलती है, जो जीवन में सकारात्मकता का संचार करती है।
छठ पूजा: इतिहास और मान्यताएँ (History and Beliefs)
छठ पूजा और रामायण काल
यह शुभ पर्व रामायण काल से जुड़ा हुआ है, जब भगवान राम और देवी सीता 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटे। भगवान राम ने रावण के वध के पाप से मुक्त होने के लिए राजसूय यज्ञ किया। ऋषि मुद्गल ने राम और सीता को अपने आश्रम में इस यज्ञ के लिए आमंत्रित किया। ऋषि मुद्गल की सलाह पर देवी सीता ने कार्तिक शुक्ल के छठे दिन सूर्य देव की पूजा की और उपवास रखा। इसके बाद, भगवान राम और सीता ऋषि मुद्गल के आश्रम में छह दिनों तक पूजा करते रहे। इस प्रकार, यह माना जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत रामायण काल से होती है।
छठ पूजा और श्री कृष्ण के पुत्र सांबा
भगवान श्री कृष्ण और जामवंती के पुत्र सांबा को कोढ़ का श्राप मिला था। नारद जी ने श्री कृष्ण को सुझाव दिया कि सांबा को इस श्राप से मुक्त करने के लिए 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण करना चाहिए। इसके बाद, सांबा ने विभिन्न स्थानों पर जैसे कि आंगरक, कोणार्क, देवातर्क, लोलार्क और उलार (उलुक) में 12 सूर्य मंदिरों का निर्माण किया और एक महीने और एक चौथाई तक उलार के तालाब में स्नान कर सूर्य देव की पूजा की। आज भी, सांबा द्वारा बनाए गए उलार सूर्य मंदिर में छठ पूजा का आयोजन पूरे उत्साह के साथ किया जाता है।
छठ पूजा की कथा (Chhath Puja Story)
छठ मैया के बारे में कथा है कि वह ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं और सूर्य देव की बहन हैं। उन्हें संतान की रक्षा करने वाली और संतान सुख देने वाली देवी के रूप में शास्त्रों में वर्णित किया गया है। वहीं, सूर्य देव अन्न और संपन्नता के देवता माने जाते हैं।
इसलिए, जब रवि और खरीफ की फसल कटकर आती है, तो छठ का पर्व सूर्य देव का आभार प्रकट करने के लिए चैत्र और कार्तिक के महीने में मनाया जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालु अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ छठ मैया और सूर्य देव की पूजा करते हैं, जिससे उन्हें समृद्धि, सुख और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस पर्व के दौरान किए गए व्रत और पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
छठ पूजा का प्रसाद (Prasad of Chhath Puja)
छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का उपयोग किया जाता है। ये सभी प्रसाद शुद्ध सामग्री से बनाए जाते हैं और श्रद्धा पूर्वक सूर्य देवता को अर्पित किए जाते हैं। ठेकुआ, जो कि एक विशेष प्रकार का कुरकुरा व्यंजन है, छठ पूजा का मुख्य प्रसाद होता है। इसके साथ ही, मालपुआ एक मिठाई है जिसे खासतौर पर इस पर्व पर तैयार किया जाता है। इस प्रकार के प्रसाद का सेवन श्रद्धालुओं द्वारा व्रत के समाप्त होने के बाद किया जाता है, जिससे उन्हें आशीर्वाद और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इन बातों का रखें ध्यान (Things to Keep in Mind)
छठ पूजा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- साफ-सफाई: बर्तन या पूजन सामग्री को झूठे हाथ से नहीं छूना चाहिए। ऐसा करने से साधक का व्रत खंडित हो जाता है, इसलिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
- सात्विक भोजन: इस महापर्व के दौरान केवल सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। इसे भगवान सूर्य और छठ मैया की कृपा प्राप्त करने के लिए आवश्यक माना जाता है।
- बर्तनों का उपयोग: पहले से प्रयोग किए गए बर्तनों को पूजा में इस्तेमाल करना वर्जित है। हमेशा नए और साफ बर्तनों का उपयोग करें, जिससे पूजा की शुद्धता बनी रहे।
इन नियमों का पालन करने से पूजा में समर्पण और श्रद्धा बढ़ती है, और व्रति को पूर्ण फल प्राप्त होता है।
छठ पूजा की शुभकामनाओं के संदेश – अपने प्रियजनों को भेजें प्यार और समृद्धि से भरी खास शुभकामनाएं!
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Greeting Messages in English |
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May the divine blessings of Lord Surya bring radiant health and boundless prosperity to you and your family this Chhath Puja. |
May the divine blessings of Chhathi Maiyya bring abundant happiness and joy into your life during this auspicious Chhath Puja. |
On this auspicious day, may your heart be filled with faith, your home with warmth, and your life with joy. Happy Chhath Puja! |
May this Chhath Puja bring prosperity, happiness, and enthusiasm to your life. |
Wishing you a blessed Chhath Puja filled with devotion, happiness, and prosperity. |
May the positivity of Chhath Puja be spread in your life and fill it with success and glory. Happy Chhath Puja! |
May the Sun God shower you with his choicest blessings and fill your life with happiness and prosperity. Happy Chhath Puja! |
May the Sun God bless you with a long and healthy life. Happy Chhath Puja! |
May the divine light of Chhathi Maiya and the Sun God guide you towards success and happiness. Happy Chhath Puja! |
May the Sun God’s rays illuminate your life with happiness and prosperity. Happy Chhath Puja! |
शुभकामना संदेश हिंदी में |
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भगवान सूर्य का दिव्य आशीर्वाद आपको और आपके परिवार को इस छठ पूजा पर उज्ज्वल स्वास्थ्य और असीम समृद्धि लाये। |
छठी मैया का दिव्य आशीर्वाद इस पावन छठ पूजा के दौरान आपके जीवन में भरपूर खुशियाँ और आनंद लेकर आए। |
आपको भगवान सूर्य के आशीर्वाद के साथ अच्छे स्वास्थ्य की चमक और समृद्धि की गर्मी से भरी छठ पूजा की शुभकामनाएं। |
छठ पूजा के अनुष्ठान आपके प्रयासों में सफलता की प्रेरणा दें और छठी मैया का आशीर्वाद आपको विजय और समृद्धि की ओर ले जाए। |
सफलता के पथ पर, छठ पूजा की दिव्य ऊर्जा आपकी यात्रा को रोशन करे तथा प्रचुर मात्रा में समृद्धि, खुशी और उपलब्धियां लेकर आए। |
छठी मैया की दिव्य उपस्थिति आपके जीवन को अनंत खुशियों और आनंद से भर दे। |
छठ पूजा के इस विशेष पर्व पर, छठी मैया का आशीर्वाद आपके दैनिक जीवन में उत्सवों से परे खुशियाँ लेकर आए। |
भगवान सूर्य की दिव्य ऊर्जा छठ पूजा के पवित्र क्षणों के दौरान आपके दिल को खुशी और प्रकाश से भर दे। |
आपको भक्ति, प्रेम, कृतज्ञता और ढेर सारे आशीर्वाद से भरी छठ पूजा की शुभकामनाएं। |
सूर्य की दिव्य चमक आपके जीवन को असीम खुशियों, सफलता और समृद्धि से भर दे। छठ पूजा की बहुत सारी शुभकामनाएं! |
छठ पूजा की तस्वीरें / Chhath Puja Images for Sharing
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